पुस्तकों को पढ़ने और उनके सुझाव जीवन पर लागू करने की कला


हम जिस युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं इस युग में किताबें कई त़रह़ से उपलब्ध हैं, लोगों की एक बड़ी संख्या है जो किताबें पढ़ने में दिलचस्पी रखती है, एक बहुत अच्छी बात ये है के इस वक़्त किताबें Digitally भी उपलब्ध हैं और कई त़रह़ के अनुवाद भी उपलब्ध हैं, जो की पहले उपलब्ध नहीं थे।

 

भाषाई सीमाओं को तोड़ती हुई पुस्तकें 

 

यही वजह है के इस युग में हम दूसरी भाषाओं में लिखी कई किताबें भी बहुत आसानी के साथ पढ़ पाते हैं, Amazon जैसे platforms मौजूद हैं जिस पर हम देख सकते हैं के कौन सी किताब है जो इस साल सर्वाधिक पढ़ी गई है।

 

बहुत हैरत की बात ये है के हम जब ये check करते हैं के कौन सी किताबें इस साल हमारे देश में सर्वाधिक पढ़ी गई हैं तो हम देखते हैं की इन किताबों में अक्सर वो किताबें शामिल होती हैं जो हमारे देश के लेखकों की नहीं है, किताबों की दुनिया में इस वक़्त ये बड़ी क्रांति देखने को मिल रही है।

 

सोशल मीडिया के युग में पुस्तके

 

लोगों का मानना है के ये social media का युग है इस युग में किताबें नहीं पढ़ी जाती हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है ये बात  स़ही़ह़ है के इस दौर में उस त़रह़ के किताबों के शौकीन नहीं मिलते जिस त़रह़ के पहले ज़मानेे में थे लेकिन इस वक़्त भी लोगों की एक बड़ी संख्या है जो आज भी किताबें पढ़ने का शौक रखती है और नई किताबें पढ़ती रहती है।

 

आज भी नुमाइशो मेलों में बाज़ारो में किताबों की दुकाने और किताबों की दुकानों पर लोग देखने को मिलते हैं, ये बात अलग है के इस युग में किताबों की दुकानों से ज़ियादा खाने के होटलों पर भीड़ होती है लेकिन फिर भी हमें उन लोगों का ज़िक्र करना चाहिए और उनकी तारीफ़ करनी चाहिए जो इस social media के दौर में भी किताबों की दुकानों को आबाद रखे हुए हैं।

 

Motivational Speakers और influencer: किताबों के प्रचारक

 

ऐसे Life coaches, Motivational Speakers और YouTube influencer बड़ी संख्या में मौजूद हैं जो किताबों पर Review देते हैं और ये भी सिखाते हैं के आख़िर किताब को किस त़रह़ से पढ़ा जाए।

 

किताबों को जल्दी कैसे पढ़ें, किताबें पढ़ने की आदत कैसे डालें इन सब पर तो बहुत लोग बात कर रहें हैं लेकिन एक और गंभीर मुद्दा है जिस पर ग़ौर करने की ज़रुरत है वो ये है की आख़िर किताबों में मौजूद सुझाव अपनी ज़िन्दगी पर कैसे लागू करें, इस पर विस्तार से चर्चा करने की ज़रूरत है।

 

देखने को ये मिलता है के किताबों के शौकीन  किताबें पढ़ते पढ़ते confused हो जाते हैं और ये नहीं समझ पाते के हम इस किताब में दिए गए सुझाव अपनी ज़िन्दगी पर किस त़रह़ लागू करें, उसके पीछे एक वजह ये भी है की एक लेखक नें अपनी किताब में कुछ लिखा है तो दूसरे नें कुछ,एक ही टॉपिक पर लिखी गई किताबों में विरोधाभास (Contradiction)  देखने को मिलता है।

 

पाठकों का दोहरा दृष्टिकोण: आदत बनाम शिक्षा

 

अब पाठक भी दो त़रह़ के होते हैं एक तो वो पाठक होते हैं जो किताबें सिर्फ़ किताबें पढ़ने के लिए ही पढ़ते हैं यानी उनको बस किताबें पढ़ने की आदत है और वो अलग अलग टॉपिकस् पर किताबें पढ़ते रहते हैं।

 

दूसरे पाठक वो होते हैं जो किताबें इस लिए पढ़ते हैं के उन्हें उस किताब से कुछ सीखने को मिले यानी वो उस किताब में दिए गए सुझाव अपने जीवन पर लागू कर सकें।

 

वो पाठक जो किताबें इस लिए पढ़ते हैं के उन्हें उस किताब से कुछ सीखने को मिले  इन के साथ ये समस्या आती है, इस समस्या का हल ये है पाठको को एक ही विषय पर कई किताबें पढ़नी चाहिए उन पाठकों की त़रह़ जो आदतन किताबें पढ़ते हैं, इस से होता है ये है के एक ही टॉपिक पर अलग अलग विचार पढ़ने और समझने का मौक़ा मिलता है और इस से एक बुनियादी समझ पैदा हो जाती है जो सुझावों को जीवन पर लागू करने में मदद करती है।

 

एक विषय पर एक ही किताब पढ़ना और उसको अपने जीवन पर लागू करना ग़लत नहीं है, लेकिन किसी भी टॉपिक को गहराई से समझने के लिए उस पर कम से कम 5 किताबें पढ़ना आवश्यक है।

 

दूसरी महत्वपूर्ण बात ये के आलचकों को पढ़े आलोचना पढ़ने से भी बुनियादी समझ पैदा होती है जो हमें अच्छे और बुरे लेखन के बीच का अंतर समझाती है।

 

सांस्कृतिक संदर्भों में पुस्तकें: वैश्विक दृष्टिकोण

 

एक और महत्वपूर्ण बात ये है के हर देश की संस्कृति अलग होती है साथ ही साथ व्यावसायिक वातावरण और कार्य संस्कृती ( business atmosphere and working culture) भी अलग होती है, अब  अमेरिका के लेखकों के द्वारा लिखी गईं स्वयं सहायता और व्यापार सुझाव पुस्तकें (self help and business idea books) पढ़ना  यक़ीनन अच्छा है, लेकिन उन पुस्तकों में में दिए गए सुझाव भारत में रह कर अपने जीवन पर लागू करना कठिन है।

 

अंतिम विचार

 

लेहाज़ा  पूरे विश्व के लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तके और साहित्य पढ़े, साहित्य पढ़ना और अलग टॉपिकस् पर लिखी गई पुस्तकों को पढ़ना हमारे जीवन में बदलाव लाता है, बस हमें एक अच्छा पाठक बनने की ज़रूरत है, जो अच्छे और बुरे लेखन के बीच अंतर कर सके, जो अच्छे लेखन की तारीफ़ और बुरे लेखन पर आलोचना करने में सक्षम हो, जो ये जानता हो के कौन पुस्तक का कौमे सा सुझाव जीवन पर लागू किया है जा सकता है और कौन सा नहीं।

 

लेखक : अज़हान वारसी