आलोचना को कैसे लें?

 

 

 

दुनिया में हर कोई कुछ न कुछ कह रहा है। कोई तारीफ़ कर रहा है, तो कोई गालियां बक रहा है। इस भीड़ में,  सुनने की क्षमता का खो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन क्या आप वाकई सुनते हैं? या बस अपने दिमाग़ के आवाज़ को सुनते रहते हैं?

 

 

 

 

आवाज़ों का जंगल

 

चारों त़रफ़ बकवास आवाज़े गूंजती रहती हैं। कोई आपको सराहता है, "वाह, क्या ख़ूबसूरत आदमी है!" तो कोई और आपको गाली देता है, "ये देखो, कितना घमंडी है!" इन आवाज़ो को सुनते ही , आपका दिमाग़  की चक्की का मोटर तेज़ी से चलने लगता है। "अरे वाह, मैं तो वाकई अच्छा दिखता हूं!" या "हाय राम, लोग मुझे से कितनी नफ़रत करते हैं!

 

दो तलवारें: सही और ग़लत

 

तलवार 1: यह मेरे बारे में नहीं है  (It's not about me)

 

जब कोई आपकी आलोचना (Criticism)  करता है, उसके पीछे उसकी अपनी कहानी होती है। शायद वह अपनी नौकरी से परेशान है, या फिर घर के कुछ नीजी मसअले हैं। आपको उस आलोचना को अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए। यह उसकी दुनिया की बात है, आपकी नहीं।

 

तलवार 2: शायद यह मेरे बारे में है  (Maybe it is about me)

 

लेकिन कभी-कभी, आलोचना सही भी हो सकती है। जैसे कोई कहता है, "तुम बहुत ज़ियादा बोलते हो!" और आपको लगता है कि हां, शायद मैं वाकई बहुत ज़ियादा बकवास करता हूं। इस मामले में, आत्म-विश्लेषण (Self-analysis)  करना ज़रूरी है। शायद आपको अपनी आदतों पर काबू पाना चाहिए।

 

अभ्यास का महत्व

 

लोगों की प्रतिक्रियाएं (Reactions)  न सुनना मुश्किल है। लेकिन हर बार जब कोई कुछ कहता है, तो इन दो तलवारों को याद रखिए। 

• क्या यह वाकई आपके बारे में है? 

• या फिर यह उसकी अपनी कहानी का हिस्सा है?

 इस अभ्यास (Practice) से धीरे-धीरे आप सीखेंगे कि किस चीज़ पर ध्यान देना है और किस पर नहीं।

 

सोचिए, आप एक रेस्टोरेंट में बैठे हैं और आप अपने Office के कामों की वजह से थके हुए और उदास हैं आपका चेहरे पर उदासी (gloomy) साफ़ नज़र आ रही है,इस उदासी की वजह से आप नें वेटर को भी बिना मुस्कुराए जल्दी से आर्डर लाने को बोल दिया, अब वेटर आप के बारे में सोचता है के ये कितना बत्तमीज़ और घमंडी आदमी है, क्या उस वेटर का आप के बारे में ये सोचना ठीक होगा? बिलकुल नहीं!  क्यों की ये वास्तविकता नहीं है, आप एक अच्छे इंसान हैं बस इस वक़्त आप थोड़ा परेशान हैं।

 

बिलकुल यही हम करते हैं दूसरों के साथ, जब कोई हमारे पीछे हॉर्न बजाता है हमें लगता है के ये इंसान बत्तमीज़ है, जब कोई हमारे message का reply नहीं करता है हम उसके बारे में ग़लत ही सोचने लगते हैं, लेकिन ये वास्तविकता नहीं होती है, बल्कि ये हमारी नकारात्मक सोच (negative thinking) होती है,  किसी के बारे में नकारात्मक सोने से पहले हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए के हो सकता है इस वक़्त ये इंसान परेशान हो।

 

निष्कर्ष

 

दुनिया में बहुत सारी आवाज़ें हैं, लेकिन सभी को सुनना नामुमकिन है। जब आप सीख लेते हैं कि किस आवाज़ को सुनना है और किसे नज़रअंदाज़ करना है, तभी आप वाकई में शांति से जी पाएंगे। इस युद्ध में, आपकी ये दो तलवारें  और  बहुत मदद करेंगी।

 

लेखक : अज़हान वारसी 

बरेली (उत्तर प्रदेश)