अंतर्राष्ट्रीय नीतियां और नुक्कड़ के नायक।

 

 इस्राईल और फ़िलिस्तीन की जंग पर राय देने वाले 2 Groups हैं और दोनों ही अपने आप को अंतरराष्ट्रीय राजनीति का सर्व-ज्ञानी समझ रहे हैं, हालाँकि हक़ीक़त ये है के ये दोनों सिर्फ़ वेब योद्धा है  जो घर बैठे ही 'दुनिया' को बचाने का माद्दा रखते हैं।

 

पहले : वो हैं जो ईरान को दुनिया का सब से ताक़तवर देश और फ़िलिस्तीन का मसीहा बनाने में लगे हुए हैं।

 

दूसरे : वो हैं जो ईरान को पाखंडी और इस्राईल का एजेंट साबित करने में लगे हुए हैं।

 

अस्ले में ये दोनों ही राय न सिर्फ़ ग़लत बल्कि अव्वल दर्जे की बेवक़ूफ़ी पर आधारित हैं और इस त़रह़ की बाते आमाव में फैलाने वाले सोशल मीडिया के समुराई  जिन के लिए 'लाइक, कमेंट, और शेयर' ही असली हथियार हैं उनका तो क्या ही ज़िक्र किया जाए।

 

इंटरनेशनल पॉलिटिक्स को समझना आसान नहीं है के कुछ यूट्यूब वीडियोज़ या कुछ लेख पढ़ कर इसपर कोई राय क़ायम करली जाए और उस को फिर  सोशल मीडिया पर नमक मिर्च लगा डाला जाए और ख़ुद को विदेश-नीति' के विशेषज्ञ समझा जाए।

 

विदेश-नीति इतना जटिल विषय है के इसपर विशेषज्ञ भी जल्दी कोई राय नहीं देते, लेकिन क़ुर्बान जाएं नुक्कर लिंटर पर खड़े होने वाले अंकलो पर और WhatsApp पर ज्ञान देने वाले भारत में सर्व-ज्ञानी बेरोज़गार युवाओं पर, जिन्हें विदेश-नीति पर इस बला की महारत हासिल है के विशेषज्ञ भी शर्मा जाएं।

 

नुक्करो लिंटर पर खड़े होने वाले अंकल और भारत में सर्व-ज्ञानी बेरोज़गार युवाओं को तो ये भी मालूम है के इस जंग में आगे क्या होने वाला है, उन्हें रशिया से लेकर चीन के आगे के प्लैनस् भी पता हैं, कौन सा देश किस का साथ देगा और कौन सा देश किस को किस त़रह़ के  हथियार देगा ये सब नुक्करो लिंटर पर खड़े होने वाले अंकल और भारत में सर्व-ज्ञानी बेरोज़गार युवाओं को बख़ूबी मालूम है और ये देश के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते अपना ज्ञान WhatsApp के माध्यम से दूसरों तक भी पहुंचाते रहते हैं।

 

लेकिन हमें इन विश्व-विद्या के व्हाट्सएप्पी विद्वान - जो सरलता से जटिल अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का 'निपटान’ कर देते हैं इन के ज्ञान पर बिलकुल विश्वास नहीं करना है अगर कभी WhatsApp पर इनके ज्ञान से भरपूर मैसेज आ जाएं तो उन पर सिर्फ़  किसी फुअड़ चुटकुले की त़रह़ हँसे और इग्नोर कर दें, क्यों की इनका ज्ञान इस से ज़ियादा तवज्जो का हक़दार नहीं।

 

 दूसरी महत्वपूर्ण बात ये के अपने आप को इस फुअड़ मज़ाक़ का हिस्सा बन्ने से बचाएं, अगर आपका कोई दोस्त या कोई मिलने वाला इन अंतर्राष्ट्रीय नीतियों पर एक घरेलू पंचायत से भी कम समझ रखने वाले स्वयंघोषित विशेषज्ञों  की बातों पर विश्वास करता है या इनकी गैंग में शामिल होने में दिलचस्पी रखता है तो उसको जितना संभव हो सके समझाएं, ये देश के हर ज़िम्मेदार नागरिक की पहली ज़िम्मेदारी है।

 

लेखक : *अज़हान_साक़िबी ✍🏻*

बरेली (उत्तर प्रदेश)