क्यों हर टायर का रंग होता है बस काला? टायरों के रंग की अनोखी यात्रा"!

जब भी गाड़ी ख़रीदने की बात आती है, तो रंग को लेकर काफ़ी सोच-विचार होता है। "लाल अच्छा रहेगा या नीला?" पर जब बात टायर ख़रीदने की आती है, तो रंग पर कोई चर्चा ही नहीं होती। आख़िर ऐसा क्यों? सीधी सी बात है, टायर तो बस एक ही रंग के मिलते हैं - वो है, काला। 

 

सफ़ेद से काले तक: टायर का रंगीन इतिहास

 

पर क्या आप जानते हैं कि करीब 125 साल पहले टायर सफ़ेद रंग के हुआ करते थे? जी हाँ, सफ़ेद! वो रबर, जिससे टायर बनता है, उसका असली रंग मिल्की व्हाइट होता है। पर फिर हमारे सफ़ेद टायर काले कैसे हो गए? कहानी में आता है ट्विस्ट। 

 

असली मटेरियल, यानि कि सफ़ेद रबर, गाड़ी के वज़्न को संभालने और सड़कों पर ठीक से चलने के लिए काफ़ी नहीं था। इसीलिए, इसे मजबूत और लम्बे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए एक स्थिरता देने वाले घटक की जरूरत थी। और यहाँ आता है हमारा हीरो - कार्बन ब्लैक। 

 

कार्बन ब्लैक: एक गेम चेंजर

 

कार्बन ब्लैक के जुड़ते ही, सफ़ेद रंग के टायर काले पड़ने लगे। लेकिन रंग बदलना ही एकमात्र फ़ायदा नहीं था। कार्बन ब्लैक टायर की मज़बूती और ज़िन्दगी को और भी बढ़ा देता है। और तो और, यह गर्मी को टायर से दूर रखता है, मतलब अब चाहे धूप कितनी भी तेज़ क्यों न हो, आपके टायर पिघलने से रहे हैं। यही नहीं, कार्बन ब्लैक ओजोन और UV विकिरण के हानिकारक प्रभावों से भी टायर की रक्षा करता है। तो ये तो हुई कहानी काले रंग की।

 

सारांश और निष्कर्ष: "क्यों टायरों का काला होना ज़रूरी है?

 

अब समझ आया कि टायर हमेशा काले रंग के क्यों होते हैं? न सिर्फ़ ये काला रंग हमारे टायरों को मज़बूती और लंबी जिंदगी देता है, बल्कि ये उन्हें हर मौसम और हर सड़क की स्थिति के लिए तैयार भी करता है। तो, इस रोचक जानकारी के साथ, अगली बार जब आप टायर की दुकान पर हों और उन्हें ग़ौर से देखें, तो याद रखें कि इन काले योद्धाओं में कितना विज्ञान और इतिहास छुपा हुआ है।

 

ख़ैर, अगली बार कोई कहे कि जिंदगी में रंगों की विविधता चाहिए, तो जरा मुस्कुरा के कहें, "सही है, पर अपने टायरों में काले रंग की महिमा तो देखो!"

 

तो ये थी टायरों के काले रंग की गुप्त और रोचक कहानी। अगली बार जब भी आप सड़कों पर हों  और अपनी गाड़ी के टायरों पर नज़र डालें, तो ये जानकारी अपने दिमाग़ में लाएं और समझें के हर चीज़ के पीछे कोई न कोई कारण ज़रूर होता है।

 

लेख : अज़हान_साक़िबी

बरेली (उत्तर प्रदेश)