इकिगाई: जापानी जीवन-शैली का दर्शन

बहुत कम पुस्तके होतीं हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आप के सोचने का नज़रिया बदल जाता है, आप का चीज़ों को देखने का दृष्टिकोण बदल जाता है, ऐसी ही एक पुस्तक है "इकिगाई" जिस को "हेक्टर गासिर्या और  फ़रान्सिस मिरेलस" नें लिखा है, यह पुस्तक जापान के ओकिनावा द्वीप पर रह रहे लोगों की लंबी आयु और सुखी जीवन जीने के रहस्यों पर केंद्रित है।

 

इस पुस्तक का हर भाग आप को एक अनोखे सफ़र पर ले जाएगा एक ऐसा सफ़र जो आपको चीज़ों को नये ढंग से देखने का एक अनोखा  दृष्टिकोण देगा, इस पुस्तक की सब से अच्छी बात ये है के ये  पुस्तक आप को बोर नहीं होने देगी  इस में आपकी दिलचस्पी  आख़िर तक बनी रहेगी।

 

इस पुस्तक को "हेक्टर गासिर्या और फ़रान्सिस मिरेलस" नें 10 हिस्सों में बाँटा है।

 

1- इकिगाई 

2- उम्र न बढ़ने का राज़ 

3- लोगोथैरेपी से इकिगाई तक 

4- फ्लो की खोज 

5- दीर्घालु मास्टर्स 

6- लंबी आयु के जापानी लोगों की सीख 

7- इकिगाई खाध संस्कृति 

8- लयबद्ध व्याम 

9-  र्दढ़ता और वाबी- साबी 

10- सारांश 

 

1- इकिगाई

इस भाग में बताया गया है कि 'इकिगाई' क्या होता है। यह एक जापानी शब्द है जिसका मतलब होता है जीवन में वह ख़ास बात जो हमें प्रेरित (motivate) करती है या हमें रोज उत्साहित करती है।

 

2- उम्र न बढ़ने का राज़

यहाँ लेखक ने बताया है कि लोग लंबी उम्र कैसे जीते हैं। जैसे कि उचित खाना, नियमित व्यायाम और अच्छे दोस्त इसमें मदद करते हैं।

 

3- लोगोथैरेपी से इकिगाई तक

इस भाग में बताया गया है कि कैसे विक्टर फ्रैंकल की लोगोथैरेपी (Logotherapy) आइडिया, जो कि हमें जीवन में अर्थ (meaning) खोजने की महत्वता समझाती है, इकिगाई से मिलती-जुलती है।

 

4- फ़्लो की खोज

यह भाग बताता है कि 'फ़्लो' (Flow) क्या होता है। फ़्लो वो स्थिति है जब हम किसी काम में पूरी तरह मग्न हो जाते हैं। लेखक यहां बताते हैं कि फ़्लो और इकिगाई दोनों ही हमें संतुष्टि (satisfaction) देते हैं।

 

5- दीर्घालु मास्टर्स (Long-lived Masters)

इसमें बताया गया है कि कुछ लोग कैसे बहुत लम्बी उम्र जीते हैं और खुश रहते हैं। यहाँ उनकी कहानियों को साझा किया गया है और यह भी बताया गया है कि हम उनसे क्या सीख सकते हैं।

 

6- लंबी आयु के जापानी लोगों की सीख

यह भाग जापानी लोगों की दीर्घायु (longevity) की आदतों और रहस्यों को उजागर करता है इस भाग में, जापानी लोगों की लंबे समय तक जीवन जीने की कुछ तरीकों को बताया गया है। यहाँ पर उनके खान-पान, नियमित व्यायाम और सकारात्मक (positive) सोच के बारे में जानकारी दी गई है।

 

7- इकिगाई खाद्य (Food) संस्कृति

इस खंड में यह बताया गया है कि कैसे खाना इकिगाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अध्याय जापानी खाद्य संस्कृति  (Food Culture) और उसके स्वास्थ्य लाभों की चर्चा करता है।

 

8- लयबद्ध व्यायाम (Rhythmic Exercise)

लयबद्ध व्यायाम जैसे कि योग, ताइ ची और की-गोंग के फ़ायदे बताए गए हैं। ये व्यायाम न सिर्फ़ शरीर को फ़िट रखते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक (mental and emotional) सन्तुलन में भी मदद करते हैं।

 

9- र्दढ़ता (Resilience) और वाबी-साबी (Wabi-Sabi)

वाबी-साबी जापानी संस्कृति का एक अवधारणा है जो असम्पूर्णता (incompletion) को स्वीकारने की बात कहता है। यह भाग बताता है कि कैसे हमें जीवन में आने वाली मुश्किलों से निपटने के लिए दृढ़ रहना चाहिए और सबकुछ परफेक्ट (perfect) न होने पर भी खुश रहना चाहिए।

 

10- सारांश

पुस्तक का आखिरी भाग सारांश प्रदान करता है कि कैसे इकिगाई की इन सभी अवधारणाओं को अपनाकर हम लंबा और सुखी जीवन जी सकते हैं। यहां लेखकों ने बताया है कि हर रोज़ के जीवन में इकिगाई के सिद्धांतों को कैसे लागू किया जा सकता है, ताकि हमारे जीवन में खुशी और संतोष बना रहे। यह भाग हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी पसंद के काम को करें, समुदाय के साथ जुड़ें और एक संतुलित जीवनशैली (Balanced lifestyle) अपनाएं।

 

इस पुस्तक के माध्यम से लेखक यह संदेश देते हैं कि जीवन में एक उद्देश्य या लक्ष्य होना ज़रूरी है, और जब हम अपने जीवन को उस उद्देश्य के अनुसार जीते हैं, तो ख़ुशी और संतोष स्वतः ही हमें मिल जाता है। "इकिगाई" सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि एक जीवन शैली (lifestyle) है जिसे अपनाकर हम न सिर्फ़ ख़ुद को बल्कि अपने आस-पास के लोगों को भी प्रेरणा दे सकते हैं। 


 

इकिगाई का आलोचनात्मक जाइज़ा

 

1- हर पुस्तक का आलोचनात्मक परीक्षण (Critical testing) महत्वपूर्ण होता है: 

जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं, तो उसका आलोचनात्मक परीक्षण करना ज़रूरी होता है। इससे हमें पुस्तक की सामग्री (Material) को गहराई से समझने में मदद मिलती है और हम लेखक के विचार और प्रस्तुतिकरण (Presentation)  के प्रति अधिक जागरूक हो सकते हैं। ऐसा करने से हम पुस्तक की ताकत और कमज़ोरी दोनों को पहचान सकते हैं।

 

आलोचनात्मक परीक्षण का महत्व: 

जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं, तो उसे एक क्रिटिकल लेंस के माध्यम से देखना सही होता  है।  इससे हम पुस्तक के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझ सकते हैं और लेखक के इरादों और प्रस्तुति की सीमाओं को भी पहचान सकते हैं। विशेष रूप से, 'इकिगाई' जैसी पुस्तकें, जो कि जीवन के दर्शन और जीवन शैली के सुझाव देती हैं, उनके सामग्री और दावों की समझदारी से जांच करना आवश्यक होता है। 

 

कोई भी स्थल या समाज पूर्ण नहीं होता, और हर जगह की अपनी विशिष्ट चुनौतियां और सीमाएं (Specific challenges and limitations)  होती हैं। अतः, आदर्शिक प्रस्तुतिकरण के पीछे की सच्चाई को समझने के लिए व्यापक दृष्टिकोण (Comprehensive approach) अपनाना और सम्ग्र समीक्षा करना ज़रूरी होता है।

 

इस तरह से, एक आलोचनात्मक नज़रिया हमें न केवल ज्ञान प्रदान करता है बल्कि यह हमारे सोचने की क्षमता को भी बढ़ाता है और हमें एक तथ्यात्मक और बौद्धिक आधार पर विचारों को परखने में मदद करता है। आलोचनात्मक विचारधारा से हमें अपना नज़रिया विकसित करने और विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारियों को गहन रूप से समझने का मौका मिलता है। 

 

इकिगाई में ओकिनावा के आदर्शित चित्रण की समीक्षा:

 'इकिगाई' पुस्तक में ओकिनावा का उल्लेख एक ऐसे स्थान के रूप में किया गया है जहां लोग बहुत लंबा और स्वस्थ जीवन जीते हैं। लेखकों ने इसे लगभग एक उतोपियन (Utopian) स्थल के रूप में प्रस्तुत किया है, जहां की जीवन शैली और खान-पान की आदतें स्वास्थ्यवर्धक हैं। हालांकि, किसी भी स्थान को पूरी तरह से आदर्श या दोषरहित (ideal or flawless)  के रूप में पेश करना उसकी वास्तविकता को नकारना हो सकता है।

 

 इस तरह का प्रस्तुतिकरण (Presentation)  कई बार महत्वपूर्ण पहलुओं और समस्याओं को नज़रअंदाज़ करने का कारण बन सकता है जैसे कि आधुनिकीकरण, वातावरणीय चुनौतियाँ, सामाजिक और आर्थिक समस्याएं जिनका सामना ओकिनावा के लोगों को भी करना पड़ता है, इस तरह की समस्याओं का इस पुस्तक में कोई ज़िक्र नहीं है, जो की इस पुस्तक की एक बड़ी कमज़ोरी है।

 

एकांगी दृष्टिकोण: 'इकिगाई' पुस्तक जीवन की सजीवता और उद्देश्य की खोज के महत्वपूर्ण विषय को छूती है, परन्तु यह पुस्तक कभी-कभी बहुत ही सरलीकृत और एकांगी दृष्टिकोण (Simplistic and one-sided approach) प्रस्तुत करती है।

 यह हो सकता है कि इस किताब का मकसद पश्चिमी लोगों को जापानी विचारधारा को समझने में आसानी करना रहा हो, लेकिन इसमें बहुत सी महत्वपूर्ण बातें और गहराई की कमी नज़र आती है। किसी भी संस्कृति के दार्शनिक और सामाजिक पक्षों (Philosophical and social aspects of culture) को समझने के लिए उनको उनके पूरे संदर्भ में देखना ज़रूरी होता है, जो की इस किताब में कई जगह गुम हो गया है।

 

अंतिम विचार

'इकिगाई' निश्चित रूप से जीवन के प्रति एक प्रेरक पुस्तक है जो पाठकों को अपने जीवन का उद्देश्य तलाशने के लिए उत्साहित करती है। यह हमें उम्र बढ़ने के साथ होने वाले बदलावों को स्वीकार करने और एक स्वस्थ, संतोषजनक जीवन की ओर अग्रसर होने का मार्ग दिखाती है। हालांकि, इसे पढ़ते समय यह महत्वपूर्ण है कि पाठक केवल पुस्तक की सतही जानकारी पर न आश्रित (dependent)  रहें और अधिक गहन और विविध सोर्स से भी जानकारी हासिल करें।

 

 'इकिगाई' पुस्तक को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से पढ़ना और समझना, इसे और भी समृद्ध और उपयोगी बनाता है, जिससे ये हमारे विचार विकसित करने और हमारे दैनिक जीवन में इसके अवधारणाओं को लागू करने में मदद करता है। जैसे ही हम इस पुस्तक के माध्यम से ओकिनावा के लोगों की सरल और सार्थक जीवन शैली की गहराई को समझ पाते हैं, हमें अपने जीवन की दिशा और उद्देश्य पर पुनर्विचार करने की प्रेरणा मिलती है। 

 

आख़िरकार, इकिगाई का प्राथमिक संदेश (Primary Message) हमें उस काम को खोजने के लिए प्रेरित करता है जिसे करते हुए हम ख़ुश रह सकें, जो हमें चुनौती दे और जिसमें हमारी रुचि हो। हालांकि, हमें यह भी समझना चाहिए कि जीवन के उद्देश्य की खोज व्यक्ति की अनूठी यात्रा है और इसे बिना किसी चाहत के स्वाभाविक रूप से विकसित होने देना चाहिए। 

पुस्तक से दर्शनिक प्रेरणा (Philosophical inspiration) लेते हुए, हमें अपने स्वयं के गुणों, क्षमताओं और जुनूनों को पहचानने की ओर अग्रसर होना चाहिए ताकि हम अपनी इकिगाई को खोज सकें, हर व्यक्ति को चाहिए कि वह यह पुस्तक पढ़े और इस के दर्शन को गहराई से समझे, इसका दर्शन जीवन के हर हिस्से में बहुत काम आएगा।

 

लेखक: अज़हान वारसी

बरेली ( उत्तर प्रदेश)