IPL: क्रिकेट का जश्न या जुआरी बनाने की फ़ैक्ट्री?

 

एक वक़्त था जब क्रिकेट का मतलब सिर्फ़ खेल,गेंद और बल्ले की टक्कर, मैदान पर चौके-छक्के और दर्शकों की वाह-वाह था। मगर जब से आईपीएल का चलन शुरू हुआ, लगता है क्रिकेट ने अपने अस्ल मक़सद को एक कोने में रख दिया है और सट्टेबाज़ी को खुला प्रस्ताव दे दिया है।

 

बीसीसीआई ने 2008 में आईपीएल की शुरुआत की मंशा तो क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की थी, लेकिन लगता है हम 'ऊंचाइयों' की ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं। हर शहर में हर गली में क्रिकेटर पैदा करने का सपना मानो अब जुआरी में बदल गया हो।

 

वाह रे बड़े ईवेंट्स, जहां मौज-मस्ती के नाम पर सिर्फ़ रुपये चमकते हैं! पहले क्या ख़ूब होता था, टीवी पर पूरा परिवार एक साथ क्रिकेट देखता था। लेकिन अब? अब तो बस, हर खेल में अपनी-अपनी टीमों पर पैसा लगाने में लगे रहते हैं। क्रिकेट का असली खेल तो छुट्टी पर है, अब तो सिर्फ़ पैसे का खेल चल रहा है।

 

आईपीएल ने क्रिकेट जगत में एक ख़ास जगह बना ली है क्योंकि लोग इसे देखने के लिए पागल हैं, चाहे जुआ हो या क्रिकेट का जुनून। आईपीएल के लिए लोग पागल हैं , लेकिन ये पागलपन कई बार बड़ी मायूसी में बदल जाती है, जब आपकी टीम और जेब दोनों हार जाते हैं।

 

इससे भी बड़ी बात यह है कि क्रिकेट की सादगी को भूलकर हमने सिर्फ़ पैसे और झिलमिलाती रौशनी की ओर रुख़ कर लिया है। यह चमक इतनी भ्रामक है कि हम क्रिकेट के असली उद्देश्य को भूल जाते हैं।

 

इसलिए, अगली बार जब आप आईपीएल देखने जाएं या घर पर देखें , तो सोचिए कि आप खेल के प्रेमी हैं या जुआ के खेल में भागीदार। एक दर्शक के नाते हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम क्रिकेट के इस महोत्सव को  स्वच्छ और स्वस्थ रूप में देखें, और इसे सिर्फ़ सट्टेबाजी का मंच न बनने दें।

 

Gambling_Applications (जुआ खेलने के app)

 

सोने पर सोहागा ये है के अब तो IPL के हर एडवरटाइज़मेंट में किसी ऐसे App के बारे में बताया जाता है जिस पर आप बहुत आसानी के साथ घर बैठे ही अपने मोबाइल से सट्टा लगा सकते हैं,  ज़रा सोचें के माहौल इतना ज़ियादा ख़राब हो चुका है के जुए जैसी चीज़ जो समाज के लिए एक ख़त़रनाक बीमारी है उसे भी कानूनी स्वीकार्यता का दुपट्टा उड़ा कर समाज के सामने इस त़रह़ से पेश किया जा रहा है जैसे ये कोई बहुत ख़ूबसूरत चीज़ हो।

 

Gambling_disorder  (जुआ विकार)

 

 हमें समझने की ज़रुरत है के जुआ एक बीमारी है एक ऐसी बीमारी जिस का शिकार होने के बाद वापसी का रास्ता बहुत मुश्किल है, जुआ खेलने वाला व्यक्ति ये समझता है के जुआ उस को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाएगा लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है, लगातार जुआ जीतना या ये कह लें के IPL के एक सीज़न में जुआ खेल कर करोड़पति बन जाना  मुश्किल नहीं  इसी समाज में ऐसे बहुत सारे लोग मौजूद हैं जो इस बात का जीता जागता उदाहरण है , जो IPL में जुआ खेल कर अमीर हुए हैं, लेकिन ये तस्वीर का एक रुख़, तस्वीर के दूसरे रुख़ पर नज़र करना भी ज़रूरी है।

 

 इसी समाज में ऐसे लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं जो इस बात का जीता जागता उदहारण हैं के कैसे लोग जुआ खेल कर बर्बाद हो जाते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो बहुत अच्छे businessman थे उन्हें समाज में इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता था लेकिन जुए नें उन्हें बिलकुल बर्बाद कर दिया।

 

अस्ल में ये एक जाल है, जुआ खेलने वाले को लगता है के वो बस धोके से जुआ हारा है, वो अगली बार जुआ खेल कर अपनी खोई हुई रकम वापिस पा लेगा, लेकिन ऐसे ही वो हारता रहता है और क़र्ज़े में डूब जाता है, ऐसे लोग बड़ी संख्या में मौजूद हैं जो इस जाल में ऐसा फसे के सड़क पर आ गए।

 

जुआ और अपराध

 

स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चें और कॉर्पोरेट में जॉब करने वाले नौजवान भी बड़ी संख्या में है जो इस जाल में फँसे हुए हैं,  अगर आप अख़बार पढ़ते हों या आप की दिलचस्पी क्रिमिनोलॉजी समझने में है तो आप ये बात जानते होंगे की जुआ खेलने वाले या जुआ हार हार कर क़र्ज़े से तंग आ कर  बड़ी संख्या में युवा अपराध की दुनिया में  आए हैं, इसकी वजह ये होती है के उनके पास अपराध के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं बचता।

 

अपराध की शुरआत

 

आज कल हमारे घरों का माहौल ऐसा हो गया है के हम लोग किसी Android App पर खेले गए जुए को जुआ समझ ही नहीं रहें हैं, माता पिता के सामने बैठ कर बच्चें बहुत इत्मीनान से इन Android Apps पर जुआ खेलते रहते हैं और माता पिता के कान और जूँ नहीं रिंगती, मानो वो जुआ नहीं खेल रहे हैं बल्कि एक आम मोबाइल गेम खेल रहे हों।

 

रोक थाम

 

इस त़रह़ के Apps जिन पर दिन रात जुआ हो रहा है, जिन की वजह से दिन ब दिन देश के युवा जुए जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं, जो लोगों को अपराध की दुनिया में धकेल रहे हैं इन पर सरकार को रोक लगाना चाहिए देश के ज़िम्मेदार नागरिकों को चाहिए के वो इस गंभीर मुद्दे पर आवाज़ बुलंद करें।

 

निष्कर्ष

 

आईपीएल जैसे बड़े खेल इवेंट्स का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जहाँ एक ओर ये दर्शकों को उत्साह और मनोरंजन प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर, इनके माध्यम से बढ़ते जुए की समस्या भी समाज के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। इसकी रोकथाम और प्रबंधन के लिए स्पष्ट नीतियाँ और कठोर उपाय, साथ ही सामाजिक जागरूकता और शिक्षित करने की प्रक्रियाएं अत्यंत आवश्यक हैं।

 

 ऐसा करने से हम न केवल खेल की सच्ची भावना को बनाए रख सकते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को भी एक सुरक्षित और स्वस्थय भविष्य की ओर अग्रसर कर सकते हैं, देश के युवाओं को सोशल मीडिया बैटलस्, लाइक शेयर, रील्स इन सब से ऊपर उठ कर सोचने की ज़रूरत है, यानी वर्चुअल दुनिया के सुपर हीरो वाला कैरेक्टर छोड़ के अस्ल दुनिया के ज़िम्मेदार नागरिग बनने की ज़रुरत है।

 

लेख : अज़हान_वारसी✍🏻

बरेली (उत्तर प्रदेश)