आज के ज़माने में, जहाँ Technology ने हमारी Coffee से कार की चाबी तक सब कुछ संभाल लिया है, वहीं एक बड़ा ही ट्रिकी सवाल हमारे सामने आता है - क्या हम रोबोट से दोस्ती कर सकते हैं, वो भी प्यार वाली? यह विषय हॉलीवुड और बॉलीवुड की फ़िल्मों , उपन्यासों और कहानियों में ख़ूब घूम-फिर कर आया है। लेकिन सवाल ये है कि ये सब सिर्फ़ कल्पना की उड़ान है या फिर इसमें कुछ हक़ीक़त भी है?
'Her' फ़िल्म तो आपने देखी ही होगी, जहाँ मुख्य किरदार को अपने Phone की AI से प्यार हो जाता है। अब भले ही वो AI एक चलता-फिरता रोबोट नहीं होता, लेकिन इंसान और टेक्नोलॉजी के बीच की दोस्ती तो बयां होती ही है।
क्या वाकई में इंसानी-रोबोट याराना मुमकिन है?
आज के समय में, कई लोग हैं जो अपने घर के रोबोट्स के साथ प्यार जैसा रिश्ता महसूस करते हैं। जापान में तो रोबोट्स के प्रति प्यार की कहानियाँ बाज़ार में आलू प्याज की तरह बिखरी पड़ी हैं, जहाँ लोग रोबोटिक पेट्स या Humanoid robots के साथ गहरे भावनात्मक बंधन बना लेते हैं।
मनोविज्ञान के चश्मे से
अब, इंसान और रोबोट के प्यार को मनोविज्ञान के चश्मे से देखें तो ये सवाल उतना ही पेचीदा है जितना कि एक उलझी हुई गांठ को सुलझाना।
कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ये दोस्ती अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी, ठीक वैसे ही जैसे चॉकलेट खाने के बाद कभी पेट दर्द होता है और कभी मज़ा आता है।
इस सवाल का जवाब अभी देना मुश्किल है, जब तक कि इस तरह के मामले सामने न आएं और उनका अध्ययन न किया जाए।
रोबोट के प्यार में पड़े व्यक्ति के व्यवहार को देखकर, उसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करने के बाद ही इस सवाल का सही जवाब देना मुमकिन होगा।
इससे पहले इस विषय पर की जाने वाली बहस उतनी ही बेकार है जितनी कि बिना तैयारी के परीक्षा देना।
तो, क्या आप रोबोट के प्यार में पड़ने के लिए तैयार हैं?
हॉलीवुड और बॉलीवुड में इस प्रेम कहानी का सफ़र:
'Her' के अलावा, 'AI Artificial Intelligence', 'Blade Runner', और 'Ex Machina' जैसी फ़िल्मों ने भी हमें इंसान और रोबोट्स के बीच के इश्क के नए रंग दिखाए हैं। बॉलीवुड में भी 'Robot' (एन्थिरन) जैसी फ़िल्मों ने हमें इस अजीबो ग़रीब लेकिन मनमोहक प्रेम कहानी के दर्शन कराए हैं, जहाँ टेक्नॉलजी और दिल की बातें एक साथ चलती हैं।
किताबें और कहानियाँ जो हमें इस बात की सैर करवाती हैं
विज्ञान गल्पों (fiction) में 'The Bicentennial Man' और 'Do Androids Dream of Electric Sheep?' (जिस पर 'Blade Runner' आधारित है) ने इस विचार को गहराई से खंगाला है। ये रचनाएँ हमें न केवल टेक्नॉलजी की सीमा पर विचार करने के लिए मजबूर करती हैं, बल्कि इंसानी भावनाओं और आशाओं का भी चित्रण करती हैं।
निष्कर्ष
अंत में, इंसान और रोबोट की दोस्ती की यह कहानी न केवल गहरे विश्लेषण का विषय है, बल्कि ये हमें दिल की गहराइयों में झाँकने का और टेक्नोलॉजी के साथ हमारे रिश्ते को नए नज़रिये से देखने का मौका भी देती है।
इस चर्चा में, इंसान और AI की दोस्ती से होने वाली शरारतें हमें एक अनोखी और मस्ती भरी दुनिया में ले जाती हैं, जहाँ हम रोज़मरहा की भाग-दौड़ से बचकर कुछ नया सोच सकते हैं।
सच पूछो तो, इस सवाल का जवाब कि 'क्या इंसान को रोबोट से प्यार हो सकता है?' इतना आसान नहीं है। लेकिन शायद इसी में मज़ा है। ये सवाल हमें भविष्य में अपनी और अपनी आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी के प्रति जागरूक बनाता है।
बेशक, इस विषय पर और शोध और चर्चा की जरूरत है लेकिन एक बात स्थापित है - इंसान और रोबोट के बीच की दोस्ती और प्यार न सिर्फ़ साहित्य, सिनेमा, और व्यक्तिगत अनुभवों की सीमाओं को तोड़ते हैं, बल्कि हमें नए सामाजिक संबंधों पर भी विचार करने का मौका देते हैं।
अंत में, यह महज़ एक मज़ाक नहीं है बल्कि कुछ ऐसा है जो हमें विज्ञान और भावनाओं के बीच संतुलन खोजने का संकेत देता है, ये कुछ ऐसा है जो हमें आने वाले ख़तरे आने वाले आधुनिक युग की आधुनिक परेशानियों और आसानियों पर विचार करने का मौका देता है,जब ऐसा होगा क्या धर्म इस नए प्रकार के रिश्ते को स्वीकार कर पाएगा? इस त़रह़ के और भी बहुत सारे सवाल हैं जो आने वाले वक़्त में हमारे लिए चुनौती बनने वाले हैं, इसलिए ये वो अहम मुद्दा है जिस अभी से चिंतन करने की ज़रूरत है।
लेखक : #अज़हान_साक़िबी
बरेली (उत्तर प्रदेश)